India

ऑक्सीजन का अभूतपूर्व संकट : जनवरी, 2020 के मुकाबले 700 फीसदी बढ़ा ऑक्सीजन का निर्यात

ऑक्सीजन संकट को लेकर केंद्र पर बिफरी दिल्ली सरकार, अदालत से कहा- पूरी तरह से फेल हुई मोदी सरकार
Email :68

समूचे भारत को चपेट में ले चुकी कोरोनावायरस की दूसरी लहर, जिसमें COVID-19 मरीज़ों में सांस लेने में तकलीफ और ऑक्सीजन की मांग बढ़ रहे हैं, के दौरान देश से ऑक्सीजन का निर्यात दोगुना रहा है. यह जानकारी सरकारी आंकड़ों से ही मिली है.

अप्रैल, 2020 और जनवरी, 2021 के बीच भारत ने 9,000 मीट्रिक टन से ज़्यादा ऑक्सीजन का निर्यात किया है.

वित्तवर्ष 2020 के दौरान देश से सिर्फ 4,500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया गया था, लेकिन उसके बाद से यह बिना किसी स्पष्ट वजह के दोगुना हो चुका है.

जनवरी, 2020 के मुकाबले, जब भारत से 352 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया गया था, जनवरी, 2021 में ऑक्सीजन के निर्यात में 734 प्रतिशत की जब्रदस्त बढ़ोतरी हुई है. दिसंबर, 2020 में देश ने 2,193 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया था, जो दिसंबर, 2019 में किए गए 538 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के निर्यात की तुलना में 308 फीसदी ज़्यादा है.

फरवरी और मार्च, 2021 के निर्यात आंकड़े फिलहाल सार्वजनिक नहीं किए गए हैं.

जिस वक्त देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन एमरजेंसी के हालात हैं, ऐसे समय में यह आंकड़े सरकार की नीति पर सवाल खड़े करते हैं.

मंगलवार को ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई शीर्ष अस्पतालों ने कहा था कि उनके पास कुछ ही घंटे तक चलने लायक ऑक्सीजन शेष है, और फिर देर रात उन अस्पतालों में ऑक्सीजन के टैंकर पहुंचाए गए.

22 अप्रैल से ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार को लताड़ा, और कहा था, “ऐसा आज ही क्यों नहीं किया गया…? क्यों 22 अप्रैल तक इंतज़ार करना चाहिए…? जिन्दगियां दांव पर लगी हैं… क्या आप मरीज़ों से ऑक्सीजन के लिए 22 अप्रैल तक इंतज़ार करने के लिए कहेंगे…?”

कोर्ट ने कहा, “आर्थिक हित इंसानी ज़िन्दगी से ज़्यादा अहम नहीं हो सकते… वरना हम त्रासदी की ओर बढ़ रहे हैं…”

केंद्र सरकार ने हाल ही में तर्क दिया था कि प्राइवेट अस्पताल अपने मरीज़ों को ‘मानसिक ज़रूरतों’ के चलते अतिरिक्त ऑक्सीजन देते हैं, जिसके कारण दुरुपयोग होता है. केंद्र ने कहा था कि दिल्ली सहित सभी राज्यों को ऑक्सीजन के इस्तेमाल को तार्किक बनाना चाहिए, और उन मरीज़ों को ऑक्सीजन नहीं देनी चाहिए, जिन्हें क्लीनिकली उसकी आवश्यकता नहीं है.

कई राज्यों से आई संकट की गुहार के बाद केंद्रीय गृहसचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की गई, जिसमें स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी.के. पॉल तथा अन्य अधिकारी शामिल थे. गृहसचिव ने देश में तेज़ी से हर तरफ बढ़ रहे COVID-19 केसों की तरफ ध्यान दिलाया. 1 जनवरी, 2021 को देश में 20,000 नए कोरोनावायरस संक्रमण केस आए थे, जबकि 15 अप्रैल के बाद से यह संख्या 10 गुणा से कहीं ज़्यादा बढ़ चुकी है, और रोज़ाना 2,00,000 से ज़्यादा केस दर्ज हो रहे हैं. बुधवार को तो भारत में एक दिन में सबसे ज़्यादा 2,95,041 COVID-19 केस सामने आए हैं, और पिछले 24 घंटों के दौरान 2,023 लोगों की कोरोनावायरस के चलते मौत हुई है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts